जम्मू -कश्मीर से बड़ी खबर आ रही है | वंहा हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में तीन पाकिस्तान समर्थित चरमपंथी और तीन पुलिसकर्मी मारे गए हैं. हमले में एक स्थानीय दुकानदार भी घायल हुआ है|कश्मीर घाटी में हिंसा की ये घटनाएं ऐसे समय हुई हैं जब यूरोपीय राजनयिकों का समूह घाटी का दौरा कर रहा है.|वहीं शुक्रवार को पुलिस ने उन तीन हमलावरों को गिरफ़्तार करने का दावा किया है जिन्होंने एक हिंदू रेस्त्रां पर हमला किया था| मंगलवार शाम हुए इस हमले में रेस्त्रां संचालक, आकाश मेहरा घायल हो गए थे|ये हमला 15 यूरोपीय देशों के प्रतिनिधिमंडल के श्रीनगर पहुंचने के कुछ देर बाद ही हुआ था|जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी प्रवीण कुमार के मुताबिक़ सुरक्षाबलों ने इन चरमपंथियों से हथियार डालने और आत्मसमर्पण करने की अपील की थी|उन्होंने कहा, चरमपंथियों के सुरक्षाबलों पर हमला करने के बाद उस घर को घेर लिया गया जिसमें वो छुपे हुए थे|कुमार के मुताबिक़ मारा गया एक चरमपंथी कुछ दिन पहले ही संगठन में शामिल हुआ था|वहीं बडगाम ज़िले में हुए एक एनकाउंटर में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए थे जिनमें से एक की बाद में अस्पताल में मौत हो गई|पुलिस के मुताबिक़ मोस्ट वांटेड चरमपंथी कमांडर यूसुफ़ कंटरू सुरक्षाबलों का घेरा तोड़कर भागने में कामयाब रहा|पुलिस का कहना है कि इस एनकाउंटर में युसुफ़ घायल हो गया है|आईजी प्रवीण कुमार के मुताबिक़, “हमने ख़ून के धब्बों का पीछा किया और एक दूसरे गांव को घेर लिया है|”जिस समय पुलिस अधिकारी प्रेस से वार्ता कर रहे थे, उसी वक़्त श्रीनगर के बाहरी इलाक़ेगे बाग़ात में संदिग्ध चरमपंथियों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया. इसमें घायल दो पुलिसकर्मियों ने दम तोड़ दिया है|गर्मियां शुरू होने से पहले बढ़ गई हिंसक गतिविधियों पर टिप्पणी करते हुए प्रवीण कुमार ने कहा, “गर्मियों में हिंसा रोकने के लिए हमारा काउंटर प्लान तैयार है| हम जानते हैं कि चरमपंथियों ने अपने तरीक़े बदल दिए हैं और हम भी उसी हिसाब से अपना काम कर रहे हैं|”भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था|लंबे कर्फ्यू, संचार सेवाएं ठप्प किए जाने और शटडाउन के बाद 2019 के अंत में स्थानीय लोगों को कुछ रियायतें दी गईं थीं. पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूख़ अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती समेत प्रांत के शीर्ष नेताओं को नज़रबंद कर लिया गया था|कई महीनों बाद बीते साल इन्हें रिहा किया गया था|
भारत सरकार विदेशी राजनयिकों को कश्मीर दौरा करने के लिए आमंत्रित करती रही थी. हालांकि, कश्मीर के नेताओं ने “आम नागरिकों की अभिव्यक्ति और आने-जाने की आज़ादी पर प्रतिबंधों के बीच” दौरे के लिए राजनयिकों को चुनिंदा जगह ले जाने के इरादों पर सवाल उठाए हैं.
05 अगस्त 2019 के बाद से ये विदेशी राजनयिकों का चौथा कश्मीर दौरा है जिसमें कम से कम पंद्रह देशों के राजनयिक शामिल हैं. इनमें आधा दर्जन मुस्लिम देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.
अधिकारियों ने राजनयिकों को बताया है कि 2019 की तुलना में कश्मीर में हिंसा में भारी कमी हुई है.
एक शीर्ष सुरक्षा अनुसार “राजनयिकों को बताया गया है कि सुरक्षा के पुख़्ता इंतेज़ामों की वजह से 2019 की तुलना में हिंसा की घटनाओ में 60 प्रतिशत तक की कमी आई है और सुरक्षाबलों को पहले की तुलना में 25 फीसदी कम नुकसान हुआ है.”